स्कूल गर्ल चुदाई का मजा मुझे मेरे ठरकी चाचा ने अपने ही घर में दिया जब मैं उनके घर रहने गयी थी. जब भी मौका मिलता, चाचा अपना लंड मेरे मुंह में घुसा देते.
दोस्तो, मैं आयुषी अवस्थी एक बार फिर से आपके सामने अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.
चाचा ने मेरी कमसिन बुर में लंड पेल दिया
अब तक आपने पढ़ा था कि चाचा ने अपने लंड से मेरी चूत चोद दी थी और मुझे भी उनके लंड से चुदकर मजा आ गया था, हालांकि दर्द भी हुआ था.
पर वो तो चूत का प्रारब्ध होता है. उसके बाद से चाचा सुबह चाचा जी किचन में मुझसे अपना मोटा लंड चुसवा रहे थे.
अब आगे School Girl Chudai Kahani:
चाचा जी ने लंड चुसवाते हुए ही अपना टॉवल हटा दिया और अब उनका लंड मेरे मुँह के सामने था.
उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर तक घुसाने लगे.
मैंने पूछा- चाचा जी, पहले तो सहलाने से दर्द ठीक हो गया था न!
वो बोले- हां बेटा, तो तुम सहलाती भी रहना और मुँह से चूसती भी रहना. इससे दर्द जल्दी ठीक होता है.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं उनके लंड को मुँह में लेकर अपने छोटे छोटे हाथों से उनके मोटे से लंड को मुठ्ठी मार रही थी.
कोई दस मिनट बाद उनके मुँह से मादक आवाजों के साथ उनका लंड रस सारा मेरे मुँह में भर गया.
मैंने सारा पीकर पूछा- चाचा जी, अब आपका दर्द ठीक हो गया है?
वो बोले- नहीं बेटा, अभी नहीं … तुम 5 मिनट रुक कर फिर से मालिश कर दो उसकी.
मैं वहीं खड़ी होकर देखने लगी कि क्या बन रहा है.
सब्जी गैस पर चढ़ चुकी थी और अब चाचा जी आटा गूंथने जा रहे थे.
फिर उन्होंने मुझे किचन टॉप पर बिठा लिया और बोले- तुम्हें यहां अच्छा लगता है बेटा?
मैंने कहा- हां.
ये बात करते हुए उनकी उंगली मेरी चूत में जा चुकी थी क्योंकि मैंने अभी भी फ्रॉक के नीचे अपनी पैंटी नहीं पहनी थी.
वो बोले- तो तुम्हारा एडमिशन यहीं करवा दूँ और तुम्हारे पापा से बात भी कर लेता हूँ. वैसे भी यहां तेरे तीन भाई हैं, उनकी कोई बहन नहीं है.
मैंने खुश होकर कहा- हां, मुझे यहीं पढ़ना है. आप पापा से बात कर लो.
मुझे अपने घर पर ज्यादा अच्छा इसलिए नहीं लगता था क्योंकि वहां पर मैं दिन भर खेल कूद नहीं सकती थी और दिन भर पापा और मम्मी की डांट सुननी पड़ती थी.
चाचा मेरी मेरी चूत में अब अपनी दो उंगलियां घुसा कर मेरी चूत को चौड़ा करने में लगे थे.
फिर उन्होंने मुझसे कहा- बेटा, तुम मेरी सूसू को मसाज कर दो, तब तक मैं आटा गूंथ लेता हूँ.
वो आटा गूंथने लगे और मैं उनका लंड लेकर अपने काम पर लग गई.
वो बीच बीच में मेरा मुँह अपने गोटों पर ले जाते और कहते- बेटा, इन्हें भी मसाज करो, इनमें भी दर्द है.
वे मेरे पूरे मजे ले रहे थे और मैं इन सब चीज से अनजान, जैसा वो कह रहे थे, करती जा रही थी.
पांच मिनट में आटा लग गया.
उन्होंने मुझे किचन टॉप पर फिर से बैठाया और मेरी चूत में फिर से उंगली डाल कर पूछने लगे- बेटा, जब तुम्हारी सूसू की मैं उंगली से या अपनी सूसू से सफाई करता हूँ, तो तुम्हें अच्छा लगता है न?
मैंने कहा- हां, मुझे अच्छा तो लगता है. पर जब आप अपनी सूसू मेरी सूसू में घुसाते हैं, तो दर्द होता है.
वो बोले- हां, अभी शुरुआत में होगा, फिर नहीं हुआ करेगा. और दर्द से पहले ही देखो, अभी हम दवा लगाए दे रहे हैं.
ये कहकर वो झुके और मेरी चूत पर अपना मुँह रख कर उसे अपनी जीभ से जोर जोर से चाटने लगे.
फिर 5 मिनट बाद वो उठे और मेरी चूत में घी लगा कर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
अब दर्द पहले से कम हो रहा था.
वो मुझे अपनी गोद में उठाकर चोद रहे थे.
फिर मुझे चोदते चोदते ही ड्राइंग रूम में पहुंच गए और बीन बैग पर बैठ गए.
वो जैसे ही बैठे उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.
अब वो मुझे उठा उठा कर चोद रहे थे और मेरी गांड के छेद में अपनी उंगली घुसाने की कोशिश कर रहे थे.
पर वो इतना टाइट था कि उनकी उंगली घुस नहीं रही थी.
वो थूक लगाकर भी कोशिश कर रहे थे, पर फिर भी नहीं जा रही थी.
उनका लंड मेरी चूत की दीवारों को जोर जोर रगड़ रहा था.
अब मुझे पहले से ज्यादा मजा आ रहा था.
मैंने अपने मम्मों पर हाथ रख कर कहा- चाचा, वो जैसे कल आपने मेरे इधर चूस कर दर्द कम किया था न … वैसे करो.
चाचा ने मेरे एक मम्मे को मुँह में दबा लिया और मेरी चूत को भोसड़ा बनाने की कोशिश करने लगे.
मुझे दूध चुसवाते हुए चूत चुदवाने में अपार आनन्द आ रहा था.
मेरी गांड खुद ब खुद चाचा के लंड पर रगड़ खाने के लिए हिलने लगी थी.
इससे चाचा भी समझ गए थे कि पोर्न स्कूल गर्ल चुदाई का मजा लेने लगी है.
वो मेरे दोनों मम्मों को बारी बारी से चूस कर मुझे मजा दे रहे थे.
आधा घंटा चोदने के बाद वो मेरे अन्दर ही झड़ गए.
फिर वो मुझसे बोले- अब जाओ बेटा तुम खेलो, मैं रोटी बनाकर सबको आवाज देता हूँ.
एक घंटे बाद चाचा जी ने सबको आवाज दी.
हम सब अन्दर आए, हाथ मुँह धोकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए.
मैं जब भी चाचा जी के पास होती थी तो वो मेरी चूत में उंगली डाल देते थे क्योंकि अब मुझे भी अच्छा लग रहा था तो मैं भी जानबूझ कर ज्यादातर उनके पास ही रहती थी.
सारे बच्चे खाने की टेबल पर आ गए.
मैं जानबूझ कर चाचा जी के पास बैठ गई.
उन्होंने अभी भी टॉवल ही पहना था. उन्होंने मुझे उठाया और अपनी गोद में बिठा लिया.
वो मेरे गाल चूम कर बोले- आज मेरा बेटा, मेरे साथ खाना खाएगा.
जब वो मुझे अपनी गोद में बिठा रहे थे, तो उन्होंने मुझे इस तरह से बिठाया कि मेरी फ्रॉक ऊपर को हो जाए.
फिर उन्होंने एडजस्ट होने के बहाने टॉवल में से अपना लंड बाहर निकाल लिया और उनका लंड मेरी चूत और टांगों के बीच में आ गया.
फिर वो बोले- आज हम अपने हाथ से खिलाएंगे अपने बेटे को खाना.
ये कहकर वो मुझे खाना खिलाने लगे. दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले गए और लंड ऊपर नीचे करवाने लगे.
वो एक हाथ से मुझे खाना खिला रहे थे और दूसरे से मेरी चूत में उंगली कर रहे थे.
सामने टीवी चल रहा था, तो सारे बच्चे टीवी पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे. इसका फायदा उठाकर वो मेरे कान में धीरे से बोले- चिल्लाना नहीं, मैं अपनी सूसू को तुम्हारी सूसू में डाल रहा हूँ.
मैं खुश हो गई और ‘ठीक है …’ कह कर सिर हिला दिया. मुझे खुद चूत में लंड लेने का मन कर रहा था.
उन्होंने मुझे धीरे से उठाया और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
क्योंकि मेरी चूत पहले से ही गीली थी और अभी थोड़ी देर पहले ही चुद चुकी थी, इसलिए लंड को जाने में इतनी दिक्कत नहीं हुई.
फिर हम लोगों ने खाना खत्म किया और टीवी देखने लगे.
चाचा मेरे पास में ही बैठकर मेरी चूत में उंगली करने में लगे थे.
मेरे लिए सब इतना नया था कि मैं चाहती ही नहीं थी कि चाचा मेरी चूत से अपनी उंगली निकालें.
मेरे ठरकी चाचा जी को तो एकदम कोरी चूत का मजा मिल रहा था तो वो क्यों निकालते मेरी चूत से उंगली.
खैर … रात हुई, तो चाचा चाची अपने कमरे में चले गए और हम बच्चे अपने कमरे में.
रात में 2 बजे मेरा फिर से मन कर रहा था कि मेरी चूत में उंगली या लंड कुछ भी जाए.
मैंने सोचा कि चलो चाचा के रूम में चलती हूँ.
धीरे से मैंने गेट खोला तो देखकर हैरान रह गई.
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चाचा चाची दोनों नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे.
चाची चाचा के ऊपर बैठकर अपनी गांड उछाल उछाल कर चुद रही थीं और चाची के मुँह से ‘आआहह आआहह …’ की आवाजें पूरे कमरे को भर रही थीं.
मैं काफी देर तक देखती रही.
कभी चाची ऊपर तो कभी चाचा.
कुछ देर बाद चाची नंगी ही दूसरी तरफ करवट लेकर सो गईं और चाचा भी.
फिर जब मुझे लगा कि चाची पूरी तरह से सो गईं, तो मैं चाचा के पास गई और उनका लंड पकड़ कर बोली- चाचा जी, सूसू की सफाई करवानी है.
उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे गोद में उठा लिया.
चाचा ने मुझे ऐसे उठाया कि उनकी उंगलियां मेरी चूत में चली जाएं.
वो बोले- आ जाओ मेरा बेटा, अभी कर देता हूँ सुसु साफ.
वो मुझे लेकर गेस्ट रूम में चले गए.
चाचा ने मुझे काफी देर तक चोदा.
फिर वो अपने रूम में चले गए और मैं अपने!
चार दिन तक ऐसे ही चलने के बाद एक शाम चाचा पापा से बात कर रहे थे और उन्होंने ऐसे ही मुझे अपने पास रखने को पूछ लिया.
मुझे पता था कि पापा मना नहीं करेंगे क्योंकि पापा को सिर्फ लड़का ही चाहिए था, उन्हें लड़की से कोई मतलब नहीं था.
वो थोड़े ज्यादा पुराने ख्यालात के थे.
फिर चाचा ने अपनी बात पापा से खत्म करके मुझे और चाची को एक साथ बताया कि आयुषी अब हमारे साथ रहेगी, भैया मान गए हैं.
मेरी चाची भी खुश हो गईं.
क्योंकि मेरे पापा के विचारों की बजाए उन्हें हमेशा से एक लड़की चाहिए थी और उनके तीन लड़के थे.
ये सब सुनकर जितना मैं खुश थी, उतनी ही मेरी चाची.
पर चाचा अलग ही खुश थे.
उस टाइम उनकी खुशी का रीजन मुझे उनका प्यार लग रहा था, पर रीजन क्या था … वो तो अब आप सबको पता ही है.
चाची ने खुश होकर कहा- चलो, इसी बात पर हम सब लोग पिकनिक पर चलते हैं.
चाचा मान गए.
फिर तय होने लगा कि कहां जाना है?
बहुत सोच विचार के बाद यह तय हुआ कि ऊटी चलते है. वहीं पर पिकनिक कैंपिंग सब करेंगे क्योंकि गर्मी का माहौल है. थोड़ी ठंडी जगह ही अच्छी रहेगी.
अगले हफ्ते निकलने का प्लान रेडी हुआ. ट्रेन की टिकटें बुक की गईं और अगले हफ्ते का इंतजार जोरों से चलने लगा.
फाइनली वो दिन आया, जिस दिन हम लोगों को ऊटी के लिए निकलना था.
ट्रेन रात के 11 बजे की थी, तो हम सब लोगों को खाना खाकर ही स्टेशन के लिए निकलना था.
हम सबने खाना खाया और सब तैयार होने लगे.
मैंने नई नई फ्रॉक पहनी थी.
चाचा मेरे पास आए और धीरे से कान में बोले- तुम अपनी पैंटी मत पहनना ताकि मैं तुम्हारी सूसू रात को साफ कर सकूँ.
मैंने खुश होकर कहा- ठीक है चाचा जी.
चाची मुझे खुश होते देख के बोलीं- अरे क्या बातें हो रही चाचा भतीजी में … जो इतना खुश हो?
चाचा जी बोले- कुछ नहीं, मैं कह रहा था कि मेरे पास रहना तो मैं तुम्हें लॉलीपॉप दूंगा.
तो चाची बोलीं- बिगाड़ो मत मेरी बेटी को … उसके दांत खराब हो जाएंगे.
फिर मैं जल्दी से बाथरूम गई और अपनी पैंटी उतार कर वहीं उतार कर डाल दी.
अब मैं नीचे से नंगी थी, मेरी जवान चूत में ठंडी हवा मुझे अजीब सा सुकून दे रही थी.
समय पर हम लोग स्टेशन के लिए निकले.
हम लोगों ने सिर्फ तीन सीट्स ही बुक की थीं क्योंकि ज्यादातर बच्चे ही थे.
हमारी सीट्स एक ही लाइन में थी.
सबसे नीचे वाली बीच वाली और सबसे ऊपर वाली.
चाची ऊपर चढ़ना नहीं चाह रही थीं तो सबसे नीचे वाली सीट पर चाची और उनका बेटा, बीच वाली पर मेरा भाई और चाचा के दो बेटे … और सबसे ऊपर वाली पर मैं और चाचा. क्योंकि मैंने पहले ही कह दिया था कि मुझे सबसे ऊपर सोना है.
फिर चाचा ने चाची से कहा- बैग से मेरा हाफ लोअर निकाल दो, जींस में नींद नहीं आएगी.
चाची ने लोअर निकाल कर चाचा को दे दिया.
वो चेंज करने वाशरूम चले गए.
फिर लौट कर थोड़ी देर में आए.
शायद उन्होंने सिगरेट पीने में टाइम लगा दिया होगा.
तब तक चाची लेट गई थीं, तो उन्होंने खुद ही जींस बैग में रख दी और अंडरवियर भी.
क्योंकि जब वो जींस रख रहे थे तो उनकी अंडरवियर की इलास्टिक दिख रही थी.
अब वो ऊपर आ गए.
मैं पहले से ही ऊपर थी.
ट्रेन की लाइट बंद हो चुकी थी.
ऊपर चढ़ते ही चाचा जी ने मुझे अपने पास लिटाया और एक चादर ओढ़ ली.
उनका हाथ तुरंत मेरी चूत के ऊपर आ गया और वो मेरी चूत सहलाने लगे.
फिर उन्होंने थोड़ा सा थूक मेरी चूत रगड़ना शुरू किया.
मेरी चूत का दाना अभी खिल नहीं पाया था, वो एकदम सपाट थी.
उनकी गीली उंगली मेरी चूत के ऊपर से शुरू होती और सरकती हुई मेरी चूत में घुस जाती.
मैंने चाचा से पूछा- चाचा, आपका सूसू जब मेरी सूसू में जाता है, तो आपको दर्द नहीं होता?
वो बोले- होता तो है, पर तुम्हारी सूसू साफ करना भी तो जरूरी है.
मैं बहुत खुश हो गई कि मेरे चाचा जी मेरा कितना ख्याल रखते हैं.
मैंने करवट लेकर उनके होंठों पर किस कर लिया क्योंकि चाचा जी ने बताया था, जब बहुत खुश होते हैं तो होंठ पर किस करते हैं.
फिर चाचा जी ने मेरा सिर पीछे से पकड़ा और मेरे होंठ पीने लगे.
मैंने पूछा- चाचा जी, क्या आप भी बहुत खुश हैं?
वो बोले- हां, मैं भी बहुत खुश हूं और बहुत ज्यादा खुशी में एक दूसरे की जीभ भी चूसी जाती है.
ये कहकर उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह डाल दी.
मैं उनकी जीभ चूसने लगी और वो मेरी.
उनके दोनों हाथ मेरी गांड फैलाए हुए थे क्योंकि उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया था.
वो दोनों हाथों मेरी गांड जोर जोर फैला रहे थे और हिला रहे थे.
बीच बीच में वो अपनी उंगली मेरी चूत में घुसा देते थे.
वो उंगली गांड में भी घुसाने की कोशिश कर रहे थे, पर वो नहीं घुस पा रही थी.
चाचा मुझसे धीरे से बोले- तुमको पॉटी साफ होती है?
मैंने कहा- हां चाचा जी, पर कभी कभी नहीं होती.
वो बोले- मैं तुम्हारी गांड के छेद के लिए दवा लाया हूँ.
मैंने पूछा- इसे गांड कहते हैं क्या?
तो वो एकदम से सकपका गए, शायद उनके मुँह से गांड गलती से निकल गया था.
वो बोले- हां बेटा, पर ये सिर्फ तुम मेरे सामने बोलना, किसी और के सामने बोलोगी तो लोग तुम्हें गंदा कहेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने चाचा जी से कहा- चाचा जी, मेरी गांड के छेद में कभी कभी खुजली होने लगती है.
वो बोले- हां क्योंकि वो भी साफ नहीं है इसलिए खुजली होती है.
मैंने पूछा- क्या उसको भी आप अपनी सूसू से साफ करेंगे?
चाचा जी बोले- हां बेटा, पर आज नहीं … वो किसी और दिन.
मैंने कहा- ठीक है, चाचा जी थैंक्यू.
फिर चाचा ने मुझे थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड मेरी चूत पर सैट करके पूरा अन्दर पेल दिया.
मेरी चीख निकलती, उससे पहले उन्होंने मेरे मुँह पर अपना मुँह रख कर किस कर लिया.
चाचा मुझे ऐसे ही आधे घंटे तक चोदते रहे और फिर मेरी चूत के अन्दर ही झड़ गए.
फिर बिना लंड निकाले ही ऐसे ही सो गए.
मैं भी सो गई.
फिर शायद 4 घंटा बाद मेरी आंख खुली तो सुबह सी लग रही थी.
शायद 4 बजा होगा क्योंकि उस टाइम बहुत कम उजाला था.
चाचा का लंड मेरी चूत के अन्दर तना हुआ था.
मुझे उनके लंड से मजा आ रहा था. मैं वैसे ही नीचे ऊपर करने लगी.
इससे चाचा की आंख खुल गई.
उन्होंने मुझे थोड़ा सा सीधा किया और मेरी चूची कसके दबाई और नीचे से जोर से धक्का दे मारा.
फिर उन्होंने मुझे खुद से चिपका लिया और नीचे से धक्के मारने लगे.
वो मेरी चूत की सफाई के नाम पर मुझे कैसे भी उठाकर कैसे भी चोदने लगते थे.
फिर उन्होंने मुझे उल्टा करके अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी चूत में लंड डाल कर घपा घप चोदने लगे, दोनों हाथों से मेरी चूची मसलने लगे.
कोई 30 मिनट चोदने के बाद हर बार की तरह उन्होंने अपना सारा माल मेरी चूत में भर दिया.
ऊटी में हुई मेरी स्कूल गर्ल चुदाई जानने के लिए अगला भाग जरूर पढ़ें.
तब तक हिलाते रहें और मुझे [email protected] मेल करें.
स्कूल गर्ल चुदाई कहानी का अगला भाग: Xxx गर्ल गांड चुदाई का मजा